हम, बस्तर के गँवठिया
Image - Native Muria-Maria dancers of Bastar
हम पुरातन कालसे रहिवासी, बस्तर के।
हम, बस्तर के गँवठिया, मुरिया-मारिया।
शँखिनी और डंकिनी नदियोंके संगम पर बसे,
दन्तेवाडा गांवके श्री दंतेश्वरी माँई के कृपाभिलाषी।
हलबी-भात्री भाषा हमरी माँ बोली।
Image - Chitrakoot Falls, Bastar -
The above view is my fond childhood memory of its majestic sounds and grandeur while standing on this rock visible in the picture.
The above view is my fond childhood memory of its majestic sounds and grandeur while standing on this rock visible in the picture.
हमरे बस्तरके हरेभरे जंगल, पहाड़, नदियाँ, चित्रकूट ,
तितलियाँ, पंछी, मोर, पशु, और पक्षी,
खुल्ली हवाएं और मैदान,
यही हमरी जीवनकी वास्तविक साक्षरता।
इसीमें पूर्णतः समाई है, हमरी असली पहचान।
यही हमरी जीवनकी वास्तविक साक्षरता।
इसीमें पूर्णतः समाई है, हमरी असली पहचान।
आज ऊंची नाकके लोग हमें उनकी अंदाज में पुकारें, आदिवासी।
कोई हमें जंगली कहें, कोई माँओ या नक्षलाईट कहें।
खुस हैं हम हमरी ही बगलमें, हमरी धान की फसलमें ।
खुसी से खाते, महुवा की शराब बनाकर पीते,
हँसते, गाते और, ढोलक के अंग-संग नाचते।
हमरी आंतरिक संतुष्टि और खुसियाँ ,
श्री दंतेश्वरी माई की निरंतर दुआएं,
शांत, सुहानी और सुस्वरुप हमरी दुनिया।
हम जहां है, जैसे हैं, वहीं एकदम ठीक हैं।
बाहरी दुनिया हमें सिखलाती रहती है ,
माँओ या नक्शलाइट कैसे बनना और ललकारना ।
हमें ना पता, नक्षलाईट किस धान की फसल होती है!
हमें ना पता, नक्षलाईट किस धान की फसल होती है!
बाहरी दुनिया हमें सिखलाती, सिर्फ दुःखी कैसे होना।
हमें सिर्फ उनकी नफ़रत की बंदूकें नजर आती हैं।
हमें सिर्फ उनकी नफ़रत की बंदूकें नजर आती हैं।
श्री दंतेश्वरी माई के सदा कृपाभिलाषी हम ,
हम किसी दूसरों को, कुछभी सिखाते नही,
सिर्फ सीखते रहते हैं, खुदके अंदाज में ,
और जानते हैं अनगिनत सदियों से,
हम आदिवासी और अधिकारी, बस्तर की सोच के।
यही हमरी असली मूलाधार पहचान।
हमरे बस्तर में, सुःख दुःख आते हैं,
और वैसे ही जाते रहते हैं,
और वैसे ही जाते रहते हैं,
फिरभी हम इसी माहौलमें, सदा मस्त रहते है।
Image - The मारिया-मुरिया native dance as I witnessed along with our entire family in Nakulnar, Dantewada District, Bastar during the summer vacation of 1942 at my age of 10.
To this day in 2017, I carry crystal clear and pleasant memories of witnessing the above dance, innocently giggling sounds and smiles of the dancers. That was the era of unassuming Black-N-White pictures, and yet studded with effortlessly brilliant colors and fragrance of Nature all around.
बस्तर, सुहानी यादोंका मेला है .
बस्तर, सुहानी यादोंका मेला है .
बस्तर एक सूक्ष्म, निर्मल सोच है।
अनादि-अनंत अनुभूती है।
sureshdeo32@gmail.com
अनादि-अनंत अनुभूती है।
sureshdeo32@gmail.com
No comments:
Post a Comment