Saturday, April 15, 2017

भाव, भावना और भावार्थ हमारे अस्तित्व की कहानी




Image - Ardhanari Nateshwar
छाया चित्र - अर्ध नारी नटेश्वर


महादेव + पार्वती = खुदकी संपूर्ण वैश्विक पहचान


साम्प्रदाइक भावमें , पुरुष याने पुल्लिंग और स्त्री याने स्त्रीलिंग.
अग्ध्यत्मिक भावमें , पुरुष अथवा पुरषोत्तम सर्वोच्या वैश्विक स्थिति है जिसमें कोई द्वंद्व नहीं है।  अर्धनारी नटेश्वर इसी भाव की प्रतिमा महसूस होती है।  


भाव, भावना और भावार्थ हमारे अस्तित्व की कहानी है।  


जिस मनोभावमें हम पूरा दिन बिताते हैं, उसी के प्रसादसे हम रात्रिके निद्राको प्राप्त होते हैं. जिस भावार्थमें हम पूरी जिंदगी गुजारते हैं, उसी योगसाधनामें हम मृत्युको प्राप्त होते हैं। अभय शूर-वीर-योद्धा जब खुदकी जान रणक्षेत्रमें कुर्बान करता है, वीर गती कोही प्राप्त होता है। मृत्यु केवल एक आध्यात्मिक परिवर्तन है, जिसमें हमारी अखंड सद्चिदानन्द स्वरुप की पहचान समाई है।  हमारे अंग-संग भाव, भावना और भावार्थ हमारे अस्तित्व की कहानी बन जाती  है।


Welcome aboard the self enriching  platform that makes ourselves available to the identical supreme Consciousness, जिसमें  हरेक इंसान एकही वैश्विक स्थिति को प्राप्त होता है।  सत्यमेव जयते !

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