आज सारे भारतीय दिलोंमें होती पौर्णिमा उत्सव,
आज नीले गगन के रात्रि में, पूर्ण चंद्रमा की मुस्कान होगी।
कल होलीकी रंग-रंगोली।
दिलोंके वृंदावन में, पिच्कारियों से रंगीन प्रेम वर्षा होगी। रंगीन फूलों और दिलके खुशियॉं की, बसंत बहार।
माफ करो मेरे यारों,
इस रँगीली और सुहानी बसंत बहार में,
मै मेरेही आत्मस्वरूपी प्यार कोष में,
गगन और पूर्ण चंद्रमा जैसे, पूर्णतः समा गया हूं।
ऐसे रंग रंगीले बसंत बहार में,
सद्विचारोंकी सत्संगत, यह होली की परिभाषा है।
मुबारक हो मेरे सारे यारों,
इस होली के शुभ संयोग पर,
आप सबके खुशियॉं की बसंत बहार हो।
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