हिमालय की उंचाई पर एकही समूचा बर्फ़ालय, जैसी माँ की दवा।
गँगा, यमुना, ब्रह्मपुत्रा, और सिंधू इस बर्फ़ालय की नदियां, जैसी कन्यायें।
इस समूचे बर्फालय और नादियोंके विस्तार का, एकही “ हिंद महासागर “।
इसी गहरी सोच की पहेचान है हिंदुस्तान अथवा भारत।
हिंदू एक सांस्कृतिक सनातन सोच है,
आत्मज्ञान और आत्मबोध की,
खुद के वैश्विक पहेचान की। मनो जागृती की।
जिस धरती पर ये सनातन सोच आझमाकर जागी,
उसकी पहचान है “ भारत “।
इस धरती पर जो जन्मा, वो है भारतीय अथवा हिन्दुस्तानी।
ईश्वर, अल्लाह, गॉड सब तेरो नाम,
सबको सद्गती मिले, खुदकी वैश्विक पहचान।
इंडिया हमरा भारतीय नाम ना निशाना।
परदेशी लुटेरों का दिया उसूल नही।
परदेसी लुटोरों ने हमारी अमूल्य अमानत लूटी है “ भारतीय स्वाभिमान “,
और हमने उन्हें सदियों से लूटने दिया, ये हमारी कमजोरियां।
१९४७ के स्वातंत्र्य दिन के बाद अब पाहिले बार महसूस हो रहा है,
की हमारी नूतन सरकार को इस स्थिति का पूर्णतः अहसास है।
सरकार, हरेक नागरिक के स्वाभिमान और सहयोग पर आधारित होती है।
हरेक नागरिक का फर्ज होता है कि हमारी सरकार का नेता, प्रधान मंत्री,
केवल एक लक्षणीय स्वयंसेवक और जनता जनार्दन सेवक हो।
ऐसे ही भाव में, भारत सदा फूले और फले ।
“जय हिन्द” ये एक खोखला नारा नहीं; हिन्दुस्तान की हार्दिक पुकार है।
हमारे शहीदों की आरजू है सब भारतीयों से,
मर्यादा पूर्ण रहकर, आपसेमें हिल मिल कर जीनेकी।
अखंड भारत एक गहरी सनातन सोच रही है।
उसकी रक्षा, हरेक नागरिक की जिम्मेदारी है।
Aao Bachcho Tumhe Dikhaye - Jagriti, Patriotic Song - YouTube
भारत माता, माँ के रूपमें एक अनहोनी (untoward )
कहानी है।
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