Sunday, December 3, 2017

संतसंग - सद् विचारों की संगत

०४ डिसेंबर, २०१७

सतसंग - लोगों के भीड़ में बैठ कर सतसंग नहीं होता; सिर्फ दिल को बहलाना होता है।   
भजन या कीर्तन संगीत - बंदरछाप मनको सिद्ध करने की कला; जिसके उपरांत ध्यान साधना और समाधी की अनुभूति को प्राप्त होने की कला।  
गीता -  केवल एक अहंकारी बकबकिया ग्रंथ नहीं; बल्कि आत्मज्ञान द्वारे आत्मबोध को प्राप्त होनेकीं हरकत और सद्बुद्धी देने वाली सूचनाओं का संग्रह ।  गुरु शिष्य परम्पराकी अमर कहानी है।    
कुराण - मंच पर रख कर, रट्टा मारने की  किताब नहीं; बल्कि खुद और खुदाह के बीच असली रिश्ते को आझमांने की हरकत।  
बाइबल - सिर्फ बादलों के ऊपर बैठा शहंशाह, और नीचे धरती पर नासपाती खाने वालों  की कहानी नहीं, और नाकि अँधविश्वास नगरी की परंपरा; बल्कि भक्ति भाव में पूर्णतः  शरणागति द्वारे, परमधान की अनुभूति को प्राप्त होनेकी हैसियत।  
मीरा - चित्तोड़ की महारानी मीरा , स्वयंसिद्ध होकर खुदके पुरुषार्थ द्वारा साध्वी मीरा बाई, एक आदर्श , बैरागन बन गई।  
इंसानियत - वतन की अनंत सांस्कृतिक सोच, और हमारी वैश्विक पहचान।
सनातन धर्म - अनवधी ( borderless ) आचार और विचार की सोच जो है अनादि, अनंत, और आत्मस्वरूपानंद।  
आत्मबोध - धरती माँ के तीन तत्व वायु, जल, अग्नि, और अंतराल के तारों और सीतारों के साथ प्यार का अनुभविक रिश्ता।    

जीवन सत्व - अमर बेल बिन मूलकी, प्रति पालता है ताहि, गाए संत कबीरा।  

हरेक इंसान को, नीले गगन के तले धरती का प्यार पले ~~

HUMRAAZ (1967) neele gagan ke tale dharti ka pyaar pale ... - YouTube




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