मकर संक्रांत -
आज है १४ जनवरी, महाराष्ट्रमें मकर संक्रांत का माहोल है, और सुबह आकाश वाणीपर सुना कि पीर हजरत मुहम्मद पैगम्बरका जन्म दिन है . आजसे सूरज की रफ़्तार मकर वृत्त से (Tropic of Cancer latitude) से भूमध्य रेखा (Equator) की ओर बढती जाती है . इस माँहोलमें सुना है कि विश्वचैतन्यका प्रभाव मानव जातीको खुदकी असली पहेचान पानेके लिए प्रफुल्लित करता है. इस महोलको अपनी खुदकी सोचमें बिठालो, और खुदको पालो।
इसी खुशीमें महाराष्ट्रमें तिल-गुड खानेका और खिलानेका रिवाज है एक याद दिलाने “एक दूसरे से मीठा बोलो”. ना डरो , मीठा बोलनेसे डायबेटीस नहीं होती; बल्कि अगर आ रही होगी तो दुम दबाकर भाग जायेगी। जुगराथ में हजारो पतंगें उड़ाई जाती हैं जो आकाशको रंगबिरंग करदेती हैं; ये सुनहरा दृश्य मैंने वडोदरामें १९५६ - ५७ में देखा है. सारे भारत में अलग अलग तरीकेसे इस माहोल को मनाया और अपनाया जाता है।
खुशियां बाँटने वाले अपने मीठे त्योंहार मानते और मनाते जाएँ। इसके अंदर जो अनमोल सुनहरा संदेशा होता है, वो एक दिन मनमे खुल जायेगा। जिंदगी प्रफुल्लित हो जायेगी।
No comments:
Post a Comment