वतन, जन्मभूमि और आझादी ये मनकी सोच नहीं,
क्योंकि मन सदा बन्दर जैसे उछलता रहता है।
वतन, जन्मभूमि, और आझादी ये तीनों,
एकही गहरी अन्तर्यामी अनुभूति है,
जिसे सिर्फ निश्चल मनमें आझमाया जाता है।
जमीन और आसमाँ के बीचकी रियासत में,
हरेक इंसान एक पौधे जैसा जन्म लेता है,
पलता, फूलता और फलता है;
जिंदगीके चाहतोंको पूरा करने,
और अंतमें खुदकी असली वैश्विक पहेचान की अनुभूति पाने।
आप किसीभी धर्म सम्प्रदायके हों या ना हों,
हरेक इन्सानकी असली इन्सानियत,
केवल आझमाई जाती है, जो अनुभूति होती है,
सिर्फ रकही होती है।
आझादीके जंगमें
The heart wrenching song “ ए मेरे प्यारे वतन ~~ “ presented below shows the intense emotional price that freedom extracts :
Aye Mere Pyare Watan - Kabuliwala Songs - Balraj Sahni - Usha Kiran ...
https://www.youtube.com/watch?v=oAdeqOrfzPA
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