Wednesday, August 2, 2017

मैं बंजारन हूँ



मैं बंजारा


मै बंजारन हूँ, मेरे वतन की दीवानी हूँ।
मैं मेरे वतनकी आदिवासी हूँ।  


हमारा परिवार किसी धार्मिक ग्रन्थोंके पंडित नहीं, और ना ठेकेदार।  
सिर्फ नैसर्गिक ज्ञानके आशिक और उपासक हैं।  
हमारी निर्मल सोचमें, ज्ञान याने खुदकी निरंतर वैश्विक पहचान।  
सारा विश्व, सिर्फ एकही अन्तर्यामी अनुभूति है।  
हमारे सनातन नृत्य और संगीत की परिभाषा है।  


सदियोसे हमारे वतन के साधु, संत, सूफी और फ़क़ीरोंने,
एकही धुनमें गाया और फ़रमाया :


मेरा मुझमें कुछभी नहीं,
जो है वो सब तेरा होय।  
“ सुमिरन मेरे मनका बीज “


मैं बंजारन हूँ,
सिर्फ ये जानू की मैं मेरे वतन के मिट्टी की फसल हूँ,

और उसके बीज का दाना।

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