Wednesday, March 28, 2018

The Spirit of Gratitude ~~



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During the youthful years of life charged with zest, ego, arrogance, and self ignorance,  
It is often difficult to humbly submit to the wisdom of life. It has its own benefits and handicaps.
Acknowledging this fact of life, each pocket of civilization has consciously incorporated traditions in daily social life as gentle reminders for acknowledging the Spirit of Gratitude.


Genuine gratitude is a wordless  expression on either side of a relationship; a silent response audible through deeds. Thanking Mother Nature and its Creation by selflessly serving to maintain and preserve its sanctity as a self enriching expression of Gratitude.


One of the self-expressive tradition built into the Japanese cultural way of life is especially noticeable when two individuals meet, they gently bow to each other before starting any conversation.




Gently and silently bowing to the innate universal wisdom inherent in each other as well as every element of Creation, animate or inanimate, enhances Life to its boundless potential.  


During the youthful years of Life, if we do not learn to humbly respect the “ Wisdom of Life “, the life energy bends and bows us downwards in submission as a gentle reminder towards the tail end of life.


Life is a precious gift to receive in its entirety, as-is, with utmost gratitude; for in its spirit both the receiver as well as the offerer  ultimately fuse into a singular identity. ….prompts the age-old universal wisdom of Yoda !

Monday, March 19, 2018

Narendra Modi Bro '


Narendra Modi Bro'
नरेंद्र मोदी भाई



छाया चित्र - आधुनिक भारत का संकेत कुमार

माँ की पहचान, सर्वव्यापी करुणा नंद स्वरूपः।  
पिता श्री की पहचान, ईशा नन्द महेशा।  
आज, पिछले चार सालके दौर में समाई, नरेंद्र मोदी भाई की पंतप्रधान रूपमें पहचान।

मैं लेखक, सिर्फ एक उल्लू हूँ, जो खुदके ८५ साल उम्र वृक्ष के डहाली से, दुनिया के खेल और बदलते रंग-बिरंग देखता रहता हूँ !
मेरा किसीसे भी, कुछ लेना, ना देना। मैं सदा पूर्णतः आझाद हूँ, और यथार्थ सबका शुक्र गुजार हूँ।

नरेंद्र मोदी भाई :

पंतप्रतधान पद से भी, अमूल्य श्रेणी का आदरणीय जनता जनार्दन सेवक।
आधुनिकभारत का संकेत कुमार।

भारत के आर्थिक उन्नती के साथ, मानवता के इन्सानियत की भी जागृती की तमन्ना रखने वाला।
वतन के अखण्ड सांस्कृतिक परम्पराका आदरपूर्वक ख़याल रखकर, मातृभूमि की २४/७ सेवा करनेवाला स्वयंसेवक।
वतन के सारे शहीदों के अमर-ज्योति का कृतज्ञतापूर्वक सन्मान करने वाला आधुनिक रूप और स्वरुप।
स्वरुप आँखों से दीखता नहीं, परन्तु उसका सदा अहसास होता रहता है।

स्वयंसेवक का मूल मतलब है, खुद के श्रद्धा भावपर पूरा भरोसा रखकर, अनासक्त भाव से निरंतर श्रम करने वाला कार्तकर्ता;
श्री हनुमान स्वरुप।

आधुनिक भारत का कोहिनूरी रत्न, जिसे कोई भी बाहरी रियासत चुरा नहीं सकती, और ना दूषित कर सकती ह।
तीस सालके ब्रह्मचर्य और जनसेवा में भूनकर निकला स्वयंसिद्ध योगी।
मातृभूमि का आव्वाहन स्वीकार किये, अब राजनीती के मैदान में निडर खड़ा है, कुशल योद्धा रूप।

जन्मभूमि, और जन्मजननी माँ की अनासक्त भावसे सेवा करने वाला आधुनिक श्रवण कुमार रूप ।
मातृछाया के आशीर्वाद से पला, फूला, और जीवन की खुशबूको फ़ैलाने वाला संकेतिक मंगेता ।

जवान अवस्थामेंही ब्रह्मचर्य और निरासक्त भाव सेवा की शकतोयों को आझमाकर, गृहस्थाश्रम का त्यागी, पुरषोत्तम।
गृहस्थाश्रम त्यागी का मतलब, घरसे डरपोंकी भाग जाना नहीं होता।
भारत के आदरणीय आध्यात्मिक इतिहासका, और साथही साथ देशवासियोंके मनोजंजीरों का दृष्टा।

जिन्हें त्याग करने की पहचान नहीं, वो सब मोदी के विरोध पार्टी में मौजूद हैं;
और  सिर्फ विरोध करना उनका एकमेव परमधर्म मंत्र होता है।

दूसरे देशोंके नेताओंसे हिलमिलकर, और उनकी आँखों में बराबरी से  देखकर,
सफलता पूर्वक कामकरने वाला आदरणीय भारतीय नेता।
    
निराधार  देशबंधू और बेहेनों के  सुखः और दुःख का निवारण करने  वाला दीनबंधू दीनानाथ शक्ति रूप।  


कोई भी नेता अकेला देश परिवर्तन नहीं कर सकता इसकी महेचान रखकर, सब देशवासियों को एकसाथ ले कर चलने वाला कर्मचारी।

ऐसे नेता के पीछे, अँध श्रद्धासे भेड़ियों जैसे उसके पीछे नहीं भागते ;
सिर्फ उसके दैनंदिन आचरण और उसूलों को आझमाकर, खुदकी क्षमता को उसके सेवाभाव से जोड़ना, जिसमें हम सबका मंगल हो।  

स्वयंसेवक नरेंद्र मोदी, सदा देश बंधुओं को याद दिलाता है, भारत हमारी जन्मसिद्द अमानत नही;
बल्कि भारत में जन्मा हरेक भारतीय, एक कोहिनूरी लक्ष है।

नरेंद्र मोदी जैसा सुपुत्र योगी, आदुनिक भारत को प्राप्त हुवा है ये आझमायें ,
खुदके भलाई और जागृती के लिए।           
संकेतिक भावमें, उल्लू के अंगसंग राजमां लक्ष्मी देवी का नरेंद्र मोदी को सदा आशीर्वाद रहे :  ॐ दीर्घायुषी यगी भवः           
 




Thursday, March 15, 2018

आशिर्वाद




आशिर्वाद

आशीर्वाद कोई Lectureबाजी या दुनियादारी नहीं, बल्कि केवल दिल अथवा  ब्हृदय की मौन पुकार होती है।
माँ, अपनी संतान को आर्शीवाद देती है “ ॐ आयुष्यमान योगी भवः।
पिता, उसी संतानको आशीर्वाद देता है “ ॐ आयुष्यमान भोगी भवः।  

एक दृष्टिकोण से, जीवन के सर्वे शक्तियों से एक जीव हो जाना याने योगी बन जाना।


माँ संतान को कहती है, तूने भोजन खाया नहीं तो कमायेगा कैसे।  
पिताश्री उसी संतान को कहता है, तूने कुछ कमाया नहीं तो खायेगा क्या, पेट कैसा भरोगे ?   


करुणा और वातसल्य सम्पन्न माँ, संतान की अन्तर्यामी सफर के लिए जागृती दिलाती है।
पुरुषत्व रूप पिता, संतान को बाहरी दुनिया के मार्गोंकी पहचान दिलाता है।  


माँ और पिताश्री, एकही सर्वभूमिक शक्ति के दो रूप हैं, जैसे अर्धनारी नटेश्वर।
एक् के बिन दूजा नही और दो के बिना एक नहीं, ये क्या जंतर मंतर है, भूल भुलैया है  ।


छाया चित्र -  अर्धनारी नटेश्वर - सम्पूर्णानन्द स्वरूपः


ये सारी क्या बकवास है, हमें  पता नहीं भगवान!
भगवान प्रणाम तुम्हें करते, हम छोटे छोटे बालक हैं।  
तुमही हो माता, तुम ही हो पिता हमारे,
तुम ही हो बंधु, और तुम ही हो सखा हमारे,
तुम ही हो चैतन्य और कृपा स्वरूपी।  
तुम आँखों से दिखते नहीं, परन्तु अहसास सदा होता रहता है तुम्हारा।  


हमें ना पता स्वर्ग का, और ना पाताल का ,
सिर्फ जहां खड़े हैं, यही हमारा पता, हमारी पहचान।
दया करो भगवान, हम अन्नाडी बच्चों की।
आपके सदा सर्वदा कृपाभिलाषी,
भगवान प्रणाम तुम्हे करते, हम छोटे छोटे अन्नाडी बालक हैं।  

Flying Elephant and Dancing Donkey

Flying Elephant and Dancing Donkey When you see them both performing their arts  in the same arena, it is time to shut up and watch....