Monday, September 1, 2014


१ सितम्बर, २०१४

BHARAT
भारत
-----------------

“ इंकिलाबा जिन्दबाद, कोमीनारा जय हिंद” ये नारा मैंने हाईस्कूलमें पढ़ते समय (१९४२-१९४७ ) सुना था; तब मेरी उम्र केवल १०-१५ सालकी थी. वो था, ब्रिटिश राज्यका जमाना।

भारत, जोरसे चिल्लानेका नारा नही. भारत, ये अनगिनत सदियोंका इतिहास है. जो खुदके पैरोंपर खड़ा अलौकिक आत्मज्ञान है जिसे केवल आत्मबोधसे आझमाया जाता है.

कूछही दिनों पहेले सुना है “bharat.in”, ये भारत सरकारकी नई वेब-साइट है।
हमारे वतनके आर्थिक और मानसिक परिवर्तन अथवा “मोडिफिकेशन” की संभावना।

आजतो मैं केवल ८१ सालका युवा हूँ.  
काफी नई उम्मीदें लेकर, आगे बढ़ना और बढ़ाना चाहता हूँ
मेरे वतनको, और साथही साथ खुदको भी
सनातन धर्म मार्गके रास्ते पर.

सनातन = जिसकी कभी शुरुवाता नही और अंत भी नहीं।
धर्म = हरेक इन्सानकी खुदके आचार(तहेजीब), विचार(सोच) और उच्चार (लब्ज़) पर आघारित, खुदके असली पहेचान की खोज. इन तीन गुणोंके संतुलित भावमें  हम मनकी शांति (स्वर्ग/ भिश्त / Heaven) आझमाँते हैं; और असंतुलित भावमें मनकी परेशानियां (नर्क / जहन्नम / Hell ) आझमाँते हैं।  
सनातन धर्म = आत्म परिवर्तनकी सोच और खोज है.

सनातन धर्म, हर इंसानके असली इंसानियतकी पहेचान है.
सनातन धर्म, इष्टभगवानका (खुद का माना हुवा ) और स्वर्गके (भिष्टके) मंझिलोंका  मंन्दिर, मस्जिद, दर्गा, या चर्च नहीं।

हिन्दुस्तान, हिन्दुकुश पर्वत, हिन्द महासागर, सिंधू, गंगा, ब्रह्मपुत्रा, महानदी, ताप्ती, गोदावरी, नर्मदा, बंगाल, काश्मीर, मानस सरोवर, हिमालय, श्री लंका ये सब
पुरातन अखंड भारतवर्षकी सिर्फ भौगोलिक पहेचान है.

अखंड भारतकी असली पहेचान है, उसके आत्मज्ञानी संत, ऋषी, मुनी महात्माओं की अनगिनत सदियोंकी ज्ञान परम्परा; सनातन धर्म और खुदकी असली पहेचान।

जब मैं, ८१० सालका बुजुर्ग हो जाऊंगा,
तब पीछे मुड़कर देखूंगा, मेरे वतनकी असली शान;
मन ही मन में, खुश होकर,  
दुआ देते और मांगते हुए।


Flying Elephant and Dancing Donkey

Flying Elephant and Dancing Donkey When you see them both performing their arts  in the same arena, it is time to shut up and watch....